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Monday, December 31, 2012

नया साल मुबारक हो


ग़मों के मंज़र से दूर, ये साल आपको ले जाए खुशियों के आशियाने मे
आँसू छलके आँखों से, तो आप हों हँसी के फ़साने मे ।।
दुआ हमारी यही है कि, न तड़पो कभी अपनों की रुसवाइयों से
नया साल मुबारक हो, इस दिल की गहराइयों से ।।


सोचता हूँ ख़त्म होते साल के साथ, मेरे गम भी दूर हो जाये
वो फिर मेरी बाहों में हो, मेरे दर्द से वो इतना मजबूर हो जाये ।।

Happy New Year to All of You............

       

Saturday, December 29, 2012

ग़मों के अंधेरों से घिरा, खुशियों का सवेरा है


ना पूछो ऐ दोस्तों, की क्या हाले दिल मेरा है ।
ग़मों के अंधेरों से घिरा, खुशियों का सवेरा है ।।

दो आँसू मेरे नाम के, अपनी आँखों मे बसा लेना ।
आकर मेरी मैय्यत पर, उनको ही बहा देना
तूम सच में मेरे अपने थे, ये उस बेवफा को बता देना ।।

हर डगर मेरी वीरानी है, दिल में ज़ख्मों का बसेरा है  
ग़मों के अंधेरों से घिरा, खुशियों का सवेरा है ।।

       

तुम्हे मेरा दुनिया मे, होना भी याद आता है


ना आना मेरे गमो के आशियाने में, की ख़ुशी का मंज़र कहीं दूर छूट जाता है
ये भी तो एक सुकून है दोस्तों, की तुम्हे मेरा दुनिया मे, होना भी याद आता है ||

ये मानने या ना मानने से क्या होता है, कब चाहकर कोई दिल रोता है
मिन्नतों से भी तो ख़ुशी का जहाँ नहीं मिलता, 
तभी तो गमे तन्हाई में, ये दिल इतमीनान से सोता है ||

       

Saturday, November 24, 2012

नशा कुछ और ही होता है, जुदाई के गम को पीने का


मजा होता है अपना ही अलग, दर्द में भी जीने का
नशा कुछ और ही होता है, जुदाई के गम को पीने का ।।

वो करते रहें हमसे नफरत, हम तो बेपनाह इश्क करते हैं
पाकर बेवफाई का गम भी, हम नहीं इस जमाने से डरते हैं ।।

उनकी यादों को ही अपना, हमसफ़र बना लिया
हर बहते अपने अश्कों को, पलकों में फनाह किया ।।

वो हमें भुला कर, अपना आशियाना बनाने चले हैं
बर्बाद हमें करके, अपनी दुनिया सजाने चले हैं ।।

हर जख्म मेरा कर रहा है, उनके लिए दुआ
जो मेरा हमसफ़र, होके भी न हुआ ।।

ना शौक था कभी हीरे का, न चाहत है नगीने का
नशा कुछ और ही होता है, जुदाई के गम को पीने का ।।

       


Thursday, November 8, 2012

कई तूफ़ान बांकी है


वो गए हमें छोड़कर, उनकी बेवफाई के हर निशान बांकी है |
जिन्दा हैं हम, उनके दिल में शायद,
हमारे मरने का एक अरमान बांकी है |
पर मौत भी रुख मोड़ गया ये कहकर, 
की अभी तेरी जिंदगी के, ऐसे कई तूफ़ान बांकी है |

       

Saturday, October 13, 2012

ये जिंदगी उनके आगोश में


मेरी लाश पे सबसे ज्यादा वही रोयीं थी
क्योंकि मेरी मौत की खबर से खुश, वही तो हुई थी ।।
मेरी बरबादियो का आशियाना, उनकी बेवफाई की नीव से बना
ये जिंदगी जाके, उनके आगोश में जब सोयी थी ।।

       

Saturday, September 22, 2012

मेरा ही आशियाना


कहीं खुशियों की महफ़िल, कहीं मातम का विलाप हो रहा है |
मेरी लाश पे आज तो बेवफा कातिल भी रो रहा है
ये कैसा मोड़ है जिंदगी की राह का
मेरा ही आशियाना अब मेरी पहचान खो रहा है |