संगदिल सनम, जहां मेरी बर्बादियों पे ज़श् न मनाते हैं |
मेरे दोस्त, मेरे नाम से ही मुस्काते हैं |
शिकायत नहीं उस खुदा से, ना जिंदगी से कोई गिला है |
उनकी बेवफाई, मेरे किसी एक पाप का सिला है |
पर हज़ार पुण्यों के बदले हर एक दोस्त मुझे मिला है |
उनके दिए हर जख्म ने, इस जिंदगी में कांटे भर दिए |