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Saturday, November 24, 2012

नशा कुछ और ही होता है, जुदाई के गम को पीने का


मजा होता है अपना ही अलग, दर्द में भी जीने का
नशा कुछ और ही होता है, जुदाई के गम को पीने का ।।

वो करते रहें हमसे नफरत, हम तो बेपनाह इश्क करते हैं
पाकर बेवफाई का गम भी, हम नहीं इस जमाने से डरते हैं ।।

उनकी यादों को ही अपना, हमसफ़र बना लिया
हर बहते अपने अश्कों को, पलकों में फनाह किया ।।

वो हमें भुला कर, अपना आशियाना बनाने चले हैं
बर्बाद हमें करके, अपनी दुनिया सजाने चले हैं ।।

हर जख्म मेरा कर रहा है, उनके लिए दुआ
जो मेरा हमसफ़र, होके भी न हुआ ।।

ना शौक था कभी हीरे का, न चाहत है नगीने का
नशा कुछ और ही होता है, जुदाई के गम को पीने का ।।

       


Thursday, November 8, 2012

कई तूफ़ान बांकी है


वो गए हमें छोड़कर, उनकी बेवफाई के हर निशान बांकी है |
जिन्दा हैं हम, उनके दिल में शायद,
हमारे मरने का एक अरमान बांकी है |
पर मौत भी रुख मोड़ गया ये कहकर, 
की अभी तेरी जिंदगी के, ऐसे कई तूफ़ान बांकी है |