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Saturday, September 22, 2012

मेरा ही आशियाना


कहीं खुशियों की महफ़िल, कहीं मातम का विलाप हो रहा है |
मेरी लाश पे आज तो बेवफा कातिल भी रो रहा है
ये कैसा मोड़ है जिंदगी की राह का
मेरा ही आशियाना अब मेरी पहचान खो रहा है |

       

Monday, September 10, 2012

मै ही हूँ


मुझसे ही है मेरी हर ख़ुशी,
गम भी तो मैंने खुद ही है सजाया |

मेरे ही हाथों में है मुक़द्दर तो मेरा,
सोता रहूँ तो रात है ये, खुली जो आँखें तो मेरा सवेरा |

अपनी बर्बादी का तो कारण भी मै हूँ, 
हर दुःख दर्द का अपने निवारण भी मै हूँ |

मै ही तो हूँ अपने जीवन का साकी,
ना झुकूँ कभी मुश्किलों के आगे,
है जब तक मेरे तन में एक सांस भी बाँकी ||