शहीदों को देश पे मर मिटने का ज़ज्बा, सिखाया नहीं जाता
कैसे होते हैं वतन पे कुरबां, इसके रखवालों को बताया नहीं जाता ।।
जो गिरता है लहू शरहद पे, सिपाहियों के तन से
वो शहादत मांगती है उसका मोल, अपने वतन से ।।
की नफरत ना रहे दिलों में, तो बस प्यार ही मुस्कायेगा
माँ अमर हुआ ये लाल भी तेरा, की तेरे प्यार का पहरा भी काम ना आयेगा ||
मिट जाने दे हस्ती मेरी, पर ये तिरँगा झुकने ना पायेगा
देख तेरे वीरों की कुर्बानी, आकाश नमन हो जायेगा ||
ये जादू है तेरी मिट्टी का माँ, एक वीर नया फिर आएगा
रखकर पैर दुश्मन की छाती पे, वो तिरंगा फिर लहराएगा ।।
हाँ अहिंसा ही अच्छाई है, पर ये भी एक सच्चाई है
की आग उगलते सूरज की किरणों से, शीतल जल बरसाया नहीं जाता
कैसे होते हैं वतन पे कुरबां, इसके रखवालों को बताया नहीं जाता
शहीदों को देश पे मर मिटने का ज़ज्बा, सिखाया नहीं जाता